Wednesday, August 22, 2018

चौरासी कोस की यात्रा

चौरासी कोस की यात्रा 

एक समय श्रीशंकर भगवान माता पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान थे | माता पार्वती ने भगवान शिव जी को बहुत देर से चिंतित देख कर शिव जी से पूछ|, भगवन मैं आपको बहुत देर से चिंतित देख रही हूँ , क्या में जान सकती हूँ कि आपकी चिंता का विषय क्या है | तब भगवान शिव जी माता पार्वती जी से बोले कि हे देवी, मेरी चिंता का विषय यह है कि सब लोग अपने-अपने गुरु बनाते हैं | पर आज तक हमने किसी को गुरु नहीं बनाया | क्यों कि कहा गया है कि जीवन में जब तक गुरु नहीं बनाया, तब तक का किया हुआ सभी पुन्य कार्यों का फल नहीं मिलता | हम रात दिन राम - राम जपते हैं पर उसका कोई फल हमें प्राप्त नहीं होता | इस लिये बिचार कर रहा हूँ कि जगत में गुरु बनाये तो किसको |

इस पर माता पार्वती बोली कि आप जिनका रात दिन भजन करते हैं उन्ही को गुरु बना लीजिये | तब भगवान शिव जी बोले कि जिनका में भजन करता हूँ उनको तो पूरा संसार भजता है | इसलिये ये नहीं कुछ नया होना चाहिये | तब माता पार्वती जी भगवान शिव जी से बोलीं कि तब तो एक ही रास्ता है | क्यों ना भगवान विष्णु जी को श्री कृष्ण जी के नये रूप में और श्री लक्ष्मी जी को श्री राधा रानी जी के नये रूप में बना कर उनकी पूजा करके आप उन्हें गुरु बना लीजिये |

भगवान शिव जी माता पार्वती जी की बात सुन कर प्रसन्न हो उठे | और बोले "हे देवी" तब तो मैं आज ही जा कर भगवान श्री विष्णु जी से अपना गुरु बनाने के लिए आग्रह करता हूँ | माता पार्वती बोली "हे नाथ" आपकी आज्ञा हो तो मैं भी आपके साथ श्रीविष्णुलोक चलना चाहती हूँ |

तब भगवान शिव और माता पार्वती श्रीविष्णु लोक के लिए प्रस्थान कर गये | श्रीविष्णु लोक पहुँच कर भगवान शिव जी और माता पार्वती जी भगवान श्रीविष्णु जी से बोले की ऐसे तो हम रात दिन आपका भजन करते ही हैं पर आज तक हमने किसी को गुरु नहीं बनाया इस लिए हमें हमारे भजन का फल नहीं मिलता,

No comments:

Post a Comment

Bharat mein Sanskrit Gurukul kaafi mahatvapurn

Bharat mein Sanskrit Gurukul kaafi mahatvapurn hain, kyunki yeh paramparik Sanskrit shikshan aur Hindu dharmik sanskriti ko sambhalne aur a...