हिन्दू धर्म ग्रंथो में दुर्गा सप्तशती के मंत्रो महिमा का गुणगान करते हुए बताया गया है की इनके प्रभाव से सुख व शांति मिलती है तथा मनोवांच्छित फल प्राप्त होते है. माँ दुर्गा के पावन पर्व नवरात्र में यदि दुर्गा सप्तशती के मंत्रो का जाप सही प्रकार व विधि विधान से किया जाये तो हर असम्भव कार्य भी पूर्ण हो जाते है. इन मंत्रो का प्रभाव शीघ्र होता है, यदि आपको दुर्गा सप्तशती के मंत्रो के उच्चारण में कोई परेशानी होती है तो किसी ब्राह्मण को घर पर बुलाकर उसके द्वारा इन मंत्रो का जाप करवाना चाहिए क्योकि इन मंत्रो के अशुद्ध उच्चारण से दुष्परिणाम उत्पन होते है.
दुर्गा सप्तशती के 11 अचूक एवं प्रभावशाली मन्त्र इस प्रकार है :-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके.
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च.
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते.
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते.
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया.
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतु:.
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता.
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके.
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय.
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या.
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां
भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न: .
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च.
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु.
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् .
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति.
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि .
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वरिविनासनम्.
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य.
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य.
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्.
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्.
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