योग क्या है?
(एक सरल, आध्यात्मिक व दार्शनिक विवेचना - पुस्तक के लिए)
योग का अर्थ
"योग" संस्कृत धातु "युज्" से निकला है, जिसका अर्थ है – "जोड़ना, मिलाना या एकता में लाना।"
योग का उद्देश्य है – आत्मा का परमात्मा से मिलन, शरीर–मन–आत्मा का संतुलन।
योग केवल आसन नहीं है
बहुत लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम मानते हैं, पर यह उससे कहीं गहरा है। योग जीवन जीने की कला है।
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः।
– योग सूत्र (1.2)
(योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है)
योग के आठ अंग (अष्टांग योग)
(पतंजलि योगसूत्र अनुसार)
यम: नैतिक अनुशासन
नियम: आत्म-संयम
आसन: शरीर की स्थिति
प्राणायाम: श्वास का नियंत्रण
प्रत्याहार: इंद्रियों का निग्रह
धारणा: ध्यान की एकाग्रता
ध्यान: ध्यानावस्था
समाधि: आत्मा-परमात्मा की पूर्ण एकता
योग क्यों करें? (लाभ)
मानसिक शांति
शरीर की दृढ़ता
चिंता, भय व तनाव से मुक्ति
आत्म-साक्षात्कार की दिशा
एक सकारात्मक दृष्टिकोण
कुछ प्रेरक श्लोक
"योगः कर्मसु कौशलम्।"
(गीता 2.50)
योग कर्मों में कुशलता है।
"समत्वं योग उच्यते।"
(गीता 2.48)
समानता को ही योग कहा गया है।
अंग्रेज़ी सारांश (for book)
Yoga is not merely a physical discipline; it's a holistic way of life aiming for union — of body, mind, and soul with the Supreme. Rooted in ancient wisdom, Yoga is the path of inner peace, discipline, and ultimate freedom.
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