।। श्री हरिः शरणम् ।।
“श्री गीता जयन्ती की शुभकामनाएँ ”
* गीता पढ़ने के लाभ *
पोस्ट संख्या —(१)
पोस्ट संख्या —(१)
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूरमर्दनं | देवकी परमानन्दम कृष्णं वंदे जगद्गुरुं ||
श्रीमद्भग्वद्गीता एक परम रहस्यमय अत्यंत महत्त्वपूर्ण सार्वभौम ग्रन्थ है | यह साक्षात् भगवान की दिव्य वाणी है, उनके हृदय का उद्गार है | इसका महत्त्व बतलाने की वाणी में शक्ति नहीं है | इसकी महिमा अपरिमेय है, यथार्थ में इसका वर्णन कोई नहीं कर सकता |शेष, महेष, गणेश , दिनेश भी इसकी महिमा को पूरी तरह सेनही कह सकते , फिर मनुष्य की तो बात ही क्या है | इतिहास-पुराण आदि में जगह-जगह इसकी महिमा गायी गयी है, किन्तु उस सबको एकत्र करने पर भी यह नहीं कहा जा सकता कि इसकी महिमा इतनी ही है; क्योंकि इसकी महिमा का कोई पार नहीं है |
श्रीमद्भग्वद्गीता एक परम रहस्यमय अत्यंत महत्त्वपूर्ण सार्वभौम ग्रन्थ है | यह साक्षात् भगवान की दिव्य वाणी है, उनके हृदय का उद्गार है | इसका महत्त्व बतलाने की वाणी में शक्ति नहीं है | इसकी महिमा अपरिमेय है, यथार्थ में इसका वर्णन कोई नहीं कर सकता |शेष, महेष, गणेश , दिनेश भी इसकी महिमा को पूरी तरह सेनही कह सकते , फिर मनुष्य की तो बात ही क्या है | इतिहास-पुराण आदि में जगह-जगह इसकी महिमा गायी गयी है, किन्तु उस सबको एकत्र करने पर भी यह नहीं कहा जा सकता कि इसकी महिमा इतनी ही है; क्योंकि इसकी महिमा का कोई पार नहीं है |
गीता आनंद-सुधा का सीमारहित छलकता हुआ समुद्र है | इसमें भावों और अर्थों की इतनी गम्भीरता और व्यापकता है कि मनुष्य जितनी ही बार इसमें डुबकी लगाता है , उतनी ही बार वह नित्य नवीन आनन्द को प्राप्तकर मुदित और मुग्ध होता है | रत्नाकर सागर में डुबकी लगाने वाला चाहे रत्नों से वंचित रह जाय, पर इस दिव्य रसामृत-समुद्र में डुबकी लगाने वाला कभी खाली हाथ नहीं निकलता | इसकी सरस और सार्थ-सुधा इतनी स्वादु है कि उसके ग्रहण से नित्य नया स्वाद मिलता रहता है | रसिकशेखर श्यामसुन्दर की इस रसीली वाणी में इतनी मोहकता और इतना स्वादु भरा है कि जिसको एक बार इस अमृत कि बूंद प्राप्त हो गयी , उसकी रूचि उत्तरोत्तर बढ़ती ही रहती है |
गीता एक सर्वमान्य और प्रमाणस्वरूप अलौकिक ग्रन्थ है | एक छोटे-से आकार में इतना विशाल योग-भक्ति-ज्ञान से पूर्ण ग्रन्थ संसार की प्रचलित भाषाओं में दूसरा कोई नहीं है | इसमें सम्पूर्ण वेदों का सार संग्रह किया हुआ है | इसका संस्कृत बहुत ही मधुर, सरस, सरल और रुचिकर है | इसकी भाषा बहुत ही उत्तम एवं रहस्ययुक्त है | दुनिया की किसी भी भाषा में ऐसा सुबोध ग्रन्थ नहीं है | मनुष्य थोड़ा अभ्यास करने से भी सहज ही इसको समझ सकता है; परन्तु इसका आशय इतना गूढ़ और गंभीर है कि आजीवन निरंतर अभ्यास करते रहने पर भी उसका अंत नहीं आता,वरं प्रतिदिन नये-नये भाव उत्पन्न होते रहते है; इससे वह सदा नवीन ही बना रहता है |
गीता में सभी धर्मों का सार भरा हुआ है | संसार में जितने भी ग्रन्थ हैं, उनमें गीता-जैसे गूढ़ और उन्नत विचार कहीं दृष्टिगोचर नहीं होते | गीता के साथ तुलना की जाय तो उसके सामने जगतका समस्त ज्ञान तुच्छ है | गीता वर्तमान समय में भी शिक्षित-अशिक्षित, भारतीय या भारतेतर सभी समुदायों के लिए सर्वथा उपयुक्त ग्रन्थ है | गीता-जैसे विलक्षण एकता तथा समता सिखानेवाला अपूर्व उपदेश कहीं नहीं दिखायी पड़ता | गागर में सागर की भांति थोड़े में ही अनन्त तत्त्व-रहस्य से भरा हुआ ग्रन्थ अन्य नहीं देखने में आता |
गीता का उपदेश बहुत ही उच्चकोटि का है | गीता में सबसे ऊँचा ज्ञान, सबसे ऊँची भक्ति और सबसे ऊँचा निष्कामभाव भरा हुआ है | गीता के उपदेश को देखकर मनुष्य के हृदय में स्वाभाविक ही यह प्रभाव पड़ता है कि यह मनुष्य रचित नहीं हैं।
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