Thursday, August 24, 2017

संस्कृत के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य ! --------------

संस्कृत के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य !
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1. कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए सबसे अच्छी भाषा। संदर्भ: – फोर्ब्स पत्रिका 1987.
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2. सबसे अच्छे प्रकार का कैलेंडर जो इस्तेमाल किया जा रहा है, भारतीय विक्रम संवत कैलेंडर है (जिसमें नया साल सौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तन के साथ शुरू होता है) संदर्भ: जर्मन स्टेट यूनिवर्सिटी.
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3. दवा के लिए सबसे उपयोगी भाषा अर्थात संस्कृत में बात करने से व्यक्ति… स्वस्थ और बीपी, मधुमैह , कोलेस्ट्रॉल आदि जैसे रोग से मुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश(Positive Charges) के साथ सक्रिय हो जाता है।संदर्भ: अमेरीकन हिन्दू यूनिवर्सिटी (शोध के बाद).
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4. संस्कृत वह भाषा है जो अपनी पुस्तकों वेद, उपनिषदों, श्रुति, स्मृति, पुराणों, महाभारत,
रामायण आदि में सबसे उन्नत प्रौद्योगिकी (Technology) रखती है।संदर्भ: रशियन
स्टेट यूनिवर्सिटी.
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5.नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों है जो वे अध्ययन का उपयोग कर
रहे हैं. असत्यापित रिपोर्ट का कहना है कि रूसी, जर्मन, जापानी, अमेरिकी सक्रिय रूप से
हमारी पवित्र पुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं और उन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम से रख रहे हैं. !
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6.दुनिया के 17 देशों में एक या अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे में अध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्त करने के लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पित उसके वास्तविक अध्ययन के लिए एक भी संस्कृत विश्वविद्यालय
इंडिया (भारत) में नहीं है।
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7. दुनिया की सभी भाषाओं की माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ (97%) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा से प्रभावित है। संदर्भ: – यूएनओ
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8. नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्ट है कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपर कंप्यूटर
संस्कृत भाषा पर आधारित बना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटर अपनी अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जा सके। परियोजना की समय सीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और 2034 (7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाद दुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एक भाषा क्रांति होगी।
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9. दुनिया में अनुवाद के उद्देश्य के लिए उपलब्ध सबसे अच्छी भाषा संस्कृत है। संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1985.
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10. संस्कृत भाषा वर्तमान में “उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी” तकनीक में इस्तेमाल की जा रही है। (वर्तमान में, उन्नत किर्लियन फोटोग्राफी तकनीक सिर्फ रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका में ही मौजूद हैं। भारत के पास आज “सरल किर्लियन फोटोग्राफी” भी नहीं है )
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11. अमेरिका, रूस, स्वीडन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रिया वर्तमान में भरत नाट्यम और नटराज के महत्व के बारे में शोध कर रहे हैं। (नटराज शिव जी का कॉस्मिक नृत्य है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने शिव या नटराज की एक मूर्ति है ).
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1२. ब्रिटेन वर्तमान में हमारे श्री चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है |
तो आने वाला समय अंग्रेजी का नही संस्कृत का है , इसे सीखे और सिखाएं, देश को विकास के पथ पर बढ़ाएं.
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13 अमेरिका की सबसे बड़ी संस्था NASA (National Aeronautics and Space Administration )ने संस्कृत भाषा को अंतरिक्ष में कोई भी मैसेज भेजने के लिए सबसे उपयोगी भाषा माना है ! नासा के वैज्ञानिकों की मानें तो जब वह स्पेस ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उलटे हो जाते थे। इस वजह से मेसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंने दुनिया के कई भाषा में प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। आखिर में उन्होंने संस्कृत में मेसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उलटे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते हैं।

भगवान राम और हनुमान जी का संवाद
बहुत सुन्दर और ज्ञान वर्धक प्रसंग, जरूर पढ़े :-
1हनुमान जी जब संजीवनी बुटी का पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है:-
प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था, बल्कि मेरा भ्रम दूर करने के लिए भेजा था। और आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मै ही आपका राम नाम का जप करने वाला सबसे बड़ा भक्त हूँ।
भगवान बोले कैसे ?
हनुमान जी बोले - वास्तव में मुझसे भी बड़े भक्त तो भरत जी है, मै जब संजीवनी लेकर लौट रहा था तब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मै गिरा, तो भरत जी ने, न तो संजीवनी मंगाई, न वैध बुलाया. कितना भरोसा है उन्हें आपके नाम पर, उन्होने कहा कि यदि मन, वचन और शरीर से श्री राम जी के चरण कमलों में मेरा निष्कपट प्रेम हो, यदि रघुनाथ जी मुझ पर प्रसन्न हो तो यह वानर थकावट और पीड़ा से रहित होकर स्वस्थ हो जाए। उनके इतना कहते ही मै उठ बैठा ।सच कितना भरोसा है भरत जी को आपके नाम पर।
शिक्षा :-हम भगवान का नाम तो लेते है पर भरोसा नही करते, भरोसा करते भी है तो अपने पुत्रो एवं धन पर, कि बुढ़ापे में बेटा ही सेवा करेगा, धन ही साथ देगा।
उस समय हम भूल जाते है कि जिस भगवान का नाम हम जप रहे है वे है, पर हम भरोसा नहीं करते। बेटा सेवा करे न करे पर भरोसा हम उसी पर करते है.
2 दूसरी बात प्रभु!
बाण लगते ही मै गिरा, पर्वत नहीं गिरा, क्योकि पर्वत तो आप उठाये हुए थे और मै अभिमान कर रहा था कि मै उठाये हुए हूँ. मेरा दूसरा अभिमान भी टूट गया।
शिक्षा :- हमारी भी यही सोच है कि, अपनी गृहस्थी का बोझ को हम ही उठाये हुए है।जबकि सत्य यह है कि हमारे नही रहने पर भी हमारा परिवार चलता ही है।
3फिर हनुमान जी कहते है :-
एक और बात प्रभु ! आपके तरकस में भी ऐसा बाण नहीं है जैसे बाण भरत जी के पास है। आपने सुबाहु, मारीच को बाण से बहुत दूर गिरा दिया। आपका बाण तो आपसे दूर कर देता है, पर भरत जी का बाण तो आपके चरणों में ला देता है । उन्होने अपने बाण पर बैठाकर मुझे आपके पास भेज दिया।
भगवान बोले :- हनुमान, जब मैंने ताडका को तथा और भी राक्षसों को मारा तो वे सब मरकर मुक्त होकर मेरे ही पास आये ।
इस पर हनुमान जी बोले :- प्रभु! आपका बाण तो मारने के बाद सबको आपके पास लाता है पर भरत जी का बाण तो जिन्दा ही भगवान के पास ले आता है। सच्चा संत तो भरत जी ही है और संत का बाण है उनकी वाणी ।
शिक्षा :- हम संत वाणी को समझते तो है पर सटकते नहीं है, और औषधि सटकने पर ही फायदा करती है।
4हनुमान जी को भरत जी ने पर्वत सहित अपने बाण पर बैठाया तो उस समय हनुमान जी को थोडा अभिमान हो गया कि मेरे बोझ से बाण कैसे चलेगा ? परन्तु जब उन्होंने रामचंद्र जी के प्रभाव पर विचार किया तो वे भरत जी के चरणों की वंदना करके चल दिए ।
शिक्षा :-कभी-कभी हम भी संतो पर संदेह करते है, कि ये हमें कैसे भगवान तक पहुँचा देगे। एक संत ही हैं, जो हमें सोते से जागते है जैसे (संत) भरत जी ने हनुमान जी को जगाया, क्योकि उनका मन, वचन, कर्म सब भगवान में लगा हुआ है। उन पर भरोसा तो करो तुम्हे तुम्हारे बोझ सहित भगवान के चरणों तक अवश्य पहुँचा देगे ।
भक्त और भगवान की जय
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चन्दनं शीतलं लोके चन्दनादपि चन्द्रमा । चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसड़्गति   ।
संसार में चन्दन अतीव शीतल होता है ।चन्दन से भी चन्द्र विशेष शीतल होता है किन्तु उन दोनों से भी अधिक शीतल साधुओं का संग होता है ।
[8/24, 9:25 AM] ‪+91 96877 26729‬: *सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् |*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः- स्वयमेव संपदः ||*
अर्थात् : अचानक (आवेश में आ कर बिना सोचे समझे) कोई कार्य नहीं करना चाहिए कयोंकि विवेकशून्यता सबसे बड़ी विपत्तियों का घर होती है | (इसके विपरीत) जो व्यक्ति सोच –समझकर कार्य करता है, गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |
*शुभ प्रभात.....*
आराध्या *
*ये हैं महाभारत के वो 5 श्राप जो जिनका प्रभाव आज भी इस धरती पर है*
          वैसे तो हिन्दू धर्म ग्रंथो में कई सारे श्राप का वर्णन किया गया है इतना ही नहीं हर श्राप के पीछे कोई न कोई कारण छुपा था। कई श्राप के पीछे संसार का कल्‍याण छिपा होता है। आज ऐसे ही 5 श्रापों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इतिहास में कुछ महत्‍वपूर्ण योगदान रहा है लेकिन इनका प्रभाव अभी भी देख सकते है।
*1.*   *श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को श्राप* :-
       पाडंवों ने स्‍वर्गलोक जाने से पहले अपना सारा राज पाठ अभिमन्‍यु के बेटे परीक्षित को दान दे दिया बताया जाता है कि राजा परीक्षित के शासन काल में सभी प्रजा सुखी थी। एक बार की बात है राजा परीक्षित वन वन में खेलने गए थें तभी उन्हें शमीक नामक ऋषि मिले जो मौन व्रत धारण कर अपनी तपस्या में लीन थे तभी परीक्षित उनसे कई बार बोलने का प्रयास करते हैं लेकिन उनके न बोलने से उन्‍हे गुस्‍सा आ गया और उन्होंने ऋषि के गले में एक मारा हुआ सांप डाल दिया। जब ये बात ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी को पता चली तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया की आज से सात दिन बाद राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के डसने से हो जायेगी। आपको बता दें राजा परीक्षित के जीवित रहते इस पृथ्‍वी पर कलयुग हावी नहीं हो सकता था इसलिए उनके मरते ही कलयुग पूरी पृथ्वी पर हावी हो गया।
*2.*    *श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप*:-
        जैसा कि हम सब जानते हैं कि महाभारत युद्ध के अंत में अश्वत्थामा ने पाण्डव पुत्रों का धोखे से वध कर दिया, तब अश्वत्थामा का पीछा करते हुए पाण्डव भगवान श्रीकृष्ण के साथ महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक पहुंच गए। लेकिन उसके बाद अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र से पाण्डवों पर वार किया। ये देख अर्जुन ने भी अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ा। तभी महर्षि व्यास ने इन दोनों अस्त्रों को टकराने से रोक लिया। इन दोनों को महर्षि व्‍यास ने अपने अस्‍त्र लेने को वापस कहा लेकिन अश्‍वत्‍थामा को यइस विद्या का ज्ञान नहीं था जिसके लिए उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी। इससे भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित होकर अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और तुम यहां रहकर भी किसी से बातचीत नहीं कर पाओगे पशु के समान वन में रहोगे।
*3.*  *माण्डव्य ऋषि का यमराज को श्राप* :-
           महाभारत में मांडव्य ऋषि का वर्णन किया गया है। बताया गया है कि एक बार राजा ने गलती से अपने सैनिकों को ऋषि मांडव्य को शूली में चढ़ाने का श्राप दिया। लेकिन जब शूली पर लटकने के बाद भी ऋषि के प्राण नहीं गए तो राजा को अपनी भूल का अहसास हुआ तथा उन्होंने ऋषि मांडव्य को शूली से उतरवाया तथा अपनी गलती की क्षमा मांगी। जिसके बाद ऋषि ने यमराज से अपनी सजा का कारण पूछा और कारण था कि ऋषि जब 12 वर्ष के थे तो आपने एक छोटे से कीड़े के पूछ में सीक चुभाई थी। ये कारण जानकर ऋषि को बहुत दुख पहुंचा जिससे अाहत होकर उन्‍होंने यमराज को श्राप दे दिया तुम शुद्र योनि में दासी के पुत्र के रूप में जन्म लोगे। माण्डव्य ऋषि के इस श्राप के कारण यमराज को विदुर के रूप में जन्म लेना पडा।
*4.*   *उर्वशी का अर्जुन को श्राप*:-
        ऐसा बताया जाता है कि एक बार अर्जुन दिव्यास्त्र पाने के लिए स्वर्ग लोक गया वहां उर्वशी नाम की एक अप्सरा उन पर आकर्षित हो गई। जब उर्वशी ने यह बात अर्जुन को बताई तो जवाब में अर्जुन ने उर्वशी को अपनी माता के समान बताया। इस बात पर उर्वशी को गुस्‍सा आ गया और उन्होंने अर्जुन से कहा की आखिर तुम क्यों नपुंसक की तरह बात क़र रहे हो, मैं तुम्हे श्राप देती हु की तुम नपुंसक हो जाओ तथा स्त्रियों के बीच तुम्हे नर्तक बन क़र रहना पड़े। इस श्राप के कारण ही अर्जुन वनवास के समय नर्तिका का वेश धारण कर कौरवों के नजरो से बच गए।
*5.* *युधिस्ठीर ने दिया था महिलाओं को यह श्राप*:-
       बताया जाता है कि महाभारत का युद्ध जब समाप्त हो गया तो माता कुंती ने पांडवों से एक रहस्य बताया की कर्ण उनका भाई था। इस बात को सुनकर पांडव अत्‍यंत दुखी हो जाते हैं। युधिस्ठीर ने विधि-विधान पूर्वक कर्ण का अंतिम संस्कार किया और उसी क्षण उन्होंने समस्त स्त्री जाती को यह श्राप दे दिया जिसका प्रभाव आज भी है इसी कारण कोई भी स्त्री किसी भी प्रकार की बात को छुपा नहीं पाती।
*हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।*

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