बसंत पंचमी विद्या की देवी मॉं सरस्वती की आराधना का दिन है, इसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। यह समृद्धि और सद्भाव का पर्व है। बसंत पंचमी माघ माह की पंचमी तिथि पर मनाया जाने वाला पर्व है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व इस साल 22 जनवरी को मनाया जा रहा है। प्राकृतिक रूप से बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है क्योंकि इस पर्व से ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है और सर्दी कम होने लगती है। बसंत पंचमी पर हिन्दू धर्म के अनुनायी कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन देवी सरस्वती की पूजन का विशेष विधान है। हिन्दू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान, कला, संस्कृति और संगीत की देवी कहा जाता है।
सरस्वती पूजा का महत्व
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती को समर्पित है। क्योंकि इस दिन ही उनका जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी सरस्वती को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री कहा गया है। वहीं एक अन्य मत के अनुसार उन्हें ब्रह्मा जी की स्त्री भी कहा जाता है। माता सरस्वती को विद्या की देवी कहते हैं। इनके आशीर्वाद से ज्ञान, विवेक, संगीत और कला में निपुणता मिलती है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा का विशेष विधान है। इस दिन प्रातःकाल से लेकर अपराह्न काल के बीच सरस्वती पूजा की जाती है। इस दौरान विधि विधान से देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।
पढ़ें देवी सरस्वती की वंदना के मंत्र: सरस्वती स्त्रोत
पूजा विधि
बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती के पूजन की विधि इस प्रकार है:
सर्वप्रथम सरस्वती पूजा के लिए एक कलश की स्थापना करें।पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की वंदना से करें और फिर शिव जी का ध्यान करें।इसके बाद देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना शुरू करें। सबसे पहले उनकी मूर्ति को स्नान कराएं और फिर उन्हें सफेद वस्त्र पहनाएँ।देवी सरस्वती को कुमकुम, गुलाल, पीले फूल और माला चढ़ाएँ। इसके अलावा ऋतु के अनुसार उन्हें फल अर्पित करें।अंत में देवी सरस्वती की आरती के बाद उनसे ज्ञान और विवेक प्रदान करने की कामना करें।
सरस्वती पूजा के ज्योतिषीय लाभ
बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती पूजन के कई ज्योतिषीय लाभ हैं। कहते हैं कि जो मनुष्य बसंत पंचमी पर मॉं सरस्वती की आराधना करता है, उसे चंद्र, बृहस्पति, बुध और शुक्र के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही वे लोग जिन पर चंद्रमा, बृहस्पति, बुध और शुक्र की महादशा व अंतर्दशा चल रही है उन्हें भी सरस्वती पूजन से लाभ मिलता है। वे व्यक्ति जो ज्ञान और शांति का कामना करते हैं उन्हें सरस्वती स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए। वे छात्र जिन्हें पढ़ाई में बाधा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें देवी सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी का प्रकृति से गहरा संबंध है। क्योंकि इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। बसंत ऋतु के आगमन से शरद ऋतु धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है। इस दौरान खेतों में चारों और सरसों के पीले फूल धरती की सुंदरता को बढ़ाते हैं। बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती पूजा के अलावा देवी रति और कामदेव की भी पूजा की जाती है। यह पूजन विशेष रूप से वैवाहिक जोड़ों यानि दंपत्तियों के लिए विशेष लाभकारी है। इसके प्रभाव से उनके जीवन में आपसी प्रेम और सद्भाव बना रहता है। वहीं बसंत पंचमी के दिन व्यवसायी गण माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी होती है। इस दौरान समूचा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सराबोर हो जाता है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! हम आशा करते हैं देवी सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहे।
जानें बसंत पंचमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त:सरस्वती पूजा मुहूर्त
बसंत पंचमी विद्या की देवी मॉं सरस्वती की आराधना का दिन है, इसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। यह समृद्धि और सद्भाव का पर्व है। बसंत पंचमी माघ माह की पंचमी तिथि पर मनाया जाने वाला पर्व है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व इस साल 22 जनवरी को मनाया जा रहा है। प्राकृतिक रूप से बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है क्योंकि इस पर्व से ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है और सर्दी कम होने लगती है। बसंत पंचमी पर हिन्दू धर्म के अनुनायी कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन देवी सरस्वती की पूजन का विशेष विधान है। हिन्दू धर्म में माता सरस्वती को ज्ञान, कला, संस्कृति और संगीत की देवी कहा जाता है।
जानें बसंत पंचमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त:सरस्वती पूजा मुहूर्त
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