पहली बार मानव का सर किसी और के शरीर मैंजोड़ दिया गया,पुराणों में ये पहले ही बताया जा चुका है, भारत में पहले ही ये अविष्कार हो गया है!
दुनिया का पहला मानव सिर प्रत्यारोपण 'सफलतापूर्वक' किया गया
चीन में 18 घंटे
की प्रक्रिया के बाद दुनिया का पहला मानव सिर प्रत्यारोपण "सफलतापूर्वक"
किया गया है, यह आज दावा किया गया था।
इतालवी न्यूरोसर्जन सर्जियो कैनावेरो ने एक लाश के सिर को फिर से गरम करने के लिए एक प्रयोग की घोषणा की, जो एक योजना के अनुसार प्राप्त की गई थी।
उन्होंने कहा कि परीक्षण से पता चला कि रीढ़, नसों, रक्त वाहिकाओं, नसों और त्वचा को सिर से शरीर तक पहुंचाना संभव था।
अगला कदम एक जीवित, लेकिन ब्रेन डेड का उपयोग करने वाली प्रक्रिया को अंजाम देना होगा, जो मनुष्य अंग दान के लिए सहमत हो गया है, एक कामकाजी मस्तिष्क वाले जीवित व्यक्ति पर पहला प्रयास करने से पहले।
डॉ। कैनवेरो, डॉ। फ्रेंकस्टीन को उनकी बोली के लिए डब किया जाता है, जो जीवित मानव पर एक पूर्ण सिर प्रत्यारोपण करने वाली पहली दवा है।
वह दावा करता है कि अंततः एक सफल हेड ट्रांसप्लांट से उन लोगों के लिए "अमरता" पैदा होगी जो इसे खरीद सकते हैं और मेगा रिच बिज़नेस "टाइकून" जिनके शरीर फेल हो रहे हैं वे प्रक्रिया को खरीदने के लिए कतार में खड़े होंगे और अपने उम्र के पुराने सिर को फ्यूज़ कर देंगे 20 या 30 के दशक में एथलेटिक व्यक्ति।
भगवान गणॆश का जन्म Pluripotent स्टेम सेल तकनीक द्वारा हुआ था?! वेदों के काल में ही था स्टेम सेल तकनीक का अस्तित्व!!
इसमें कॊई संदेह नहीं कि भारत में वेद काल से ही तकनीक का
प्रयॊग किया जाता था। विज्ञान और तकनीक इस देश की ही देन है। शिवजी इस ब्रह्मांड
के सबसे पहले वैज्ञानिक थे। इनके पास अस्त्र-शस्त्र बनाने से लेकर अंग प्रत्यारॊपण
करने जैसे विद्याएं थीं। नाट्य और भाषा के रचैता भी आदी यॊगी शिव ही थे। वेदों की
रचना में शिवजी की भूलिका रही है। शिवजी के काल( 50-60 हज़ार
साल पूर्व) से ही इस धरती पर Surrogacy, Head transplant,
Test tube baby, Stem cell technology, cloning आदि
अस्तित्व में थे।
अगर आप ध्यान दें तो शिवजी की अपनी पत्नि पार्वती से या अन्य महिलाओं से एक भी जैविक पुत्र या पुत्रियां नहीं है। शिवजी के जितने भी पुत्र व पुत्रियां हैं, उनका जन्म पुरुष और स्त्री के प्राकृतिक संयॊग के बिना ही हुआ है। कार्तिकेय, श्री गणेश, अशोक सुंदरी, ज्यॊती और मानसा का जन्म कृत्रिम तकनीकी साधनों द्वारा हुआ था। जब कि भगवान शिवजी को मॊहिनी (जिसे विष्णु का स्त्री अवतार माना जाता है) उससे एक पुत्र हुआ था जिसका नाम अय्यप्पा है। मॊहिनी लिंग परिवर्तन तकनीक का पहला उदाहरण है और दूसरा उदाहरण हमें द्वापर युग में देखने को मिलता है जहां अंबा अपना लिंग परिवर्तन कर शिखंडी बन जाती है।
अब गणेश जी के जन्म को देखा जाये तो हमें यह ज्ञात होता है कि माता पार्वती ने गणेश को अपने शरीर के गंदगी से बनाया था। आज विज्ञान कहता है कि Stem cell technology द्वारा मानव अंगों का निर्माण किया जा सकता है। एलोपैथिक दृष्टिकोण से माता पार्वती की गंदगी उसकी त्वचा की कोशिकाओं के बराबर होगी। यह स्टेम सेल हमारे शरीर के ऊतकों में मौजूद होते हैं। सभी स्टेम सेल स्व-नवीनीकरण करने में सक्षम हैं। परिस्थिती के अनुसार वे अलग अलग रूप में अपने को परिवर्तित करने में भी सक्षम है।
इन स्टेम सेल्स में कई प्रकार है।
Totipotent कोशिकाएं सभी कोशिका प्रकार (भ्रूण और अतिरिक्त भ्रूण प्लेसेंटा) उत्पन्न कर सकती हैं।
Pluripotent कोशिकाओं केवल भ्रूण की कोशिकाओं को उचित बना सकते हैं।
Multipotent कोशिकाएं केवल एक दिए गए रोगाणु परत के भीतर कोशिकाओं को बना सकती हैं।
Unipotent कोशिकाएं एक ही प्रकार के कोशिकाओं को बनाती हैं।
अगर आप ध्यान दें तो शिवजी की अपनी पत्नि पार्वती से या अन्य महिलाओं से एक भी जैविक पुत्र या पुत्रियां नहीं है। शिवजी के जितने भी पुत्र व पुत्रियां हैं, उनका जन्म पुरुष और स्त्री के प्राकृतिक संयॊग के बिना ही हुआ है। कार्तिकेय, श्री गणेश, अशोक सुंदरी, ज्यॊती और मानसा का जन्म कृत्रिम तकनीकी साधनों द्वारा हुआ था। जब कि भगवान शिवजी को मॊहिनी (जिसे विष्णु का स्त्री अवतार माना जाता है) उससे एक पुत्र हुआ था जिसका नाम अय्यप्पा है। मॊहिनी लिंग परिवर्तन तकनीक का पहला उदाहरण है और दूसरा उदाहरण हमें द्वापर युग में देखने को मिलता है जहां अंबा अपना लिंग परिवर्तन कर शिखंडी बन जाती है।
अब गणेश जी के जन्म को देखा जाये तो हमें यह ज्ञात होता है कि माता पार्वती ने गणेश को अपने शरीर के गंदगी से बनाया था। आज विज्ञान कहता है कि Stem cell technology द्वारा मानव अंगों का निर्माण किया जा सकता है। एलोपैथिक दृष्टिकोण से माता पार्वती की गंदगी उसकी त्वचा की कोशिकाओं के बराबर होगी। यह स्टेम सेल हमारे शरीर के ऊतकों में मौजूद होते हैं। सभी स्टेम सेल स्व-नवीनीकरण करने में सक्षम हैं। परिस्थिती के अनुसार वे अलग अलग रूप में अपने को परिवर्तित करने में भी सक्षम है।
इन स्टेम सेल्स में कई प्रकार है।
Totipotent कोशिकाएं सभी कोशिका प्रकार (भ्रूण और अतिरिक्त भ्रूण प्लेसेंटा) उत्पन्न कर सकती हैं।
Pluripotent कोशिकाओं केवल भ्रूण की कोशिकाओं को उचित बना सकते हैं।
Multipotent कोशिकाएं केवल एक दिए गए रोगाणु परत के भीतर कोशिकाओं को बना सकती हैं।
Unipotent कोशिकाएं एक ही प्रकार के कोशिकाओं को बनाती हैं।
2006 में शिन्या यामानका और सहयोगियों ने एक प्रक्रिया द्वारा
परिपक्व कोशिकाओं में प्लुरिपोटेंट कोशिकाओं में व्यक्त जीन को इनड्यूस किया जिसे iPS कहा
जाता है। यह iPS तकनीक विज्ञान की दुनिया में तेहल्का मचा रहा है। त्वचा से
व्युत्पन्न एक केराटिनोसाइट को प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल बनने के लिए प्रेरित किया
जा सकता है। यानी त्वचा की कोशिकाओं में मौजूद स्टेम सेल्स का उपयॊग कर एक खास
तकनीक द्वारा एक भ्रूण को उत्पन्न किया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार हनुमान के पुत्र
मकरध्वज का जन्म भी हुआ होगा। पसीने-गंदगी-या हनुमान के त्वचा या शरीर के मलिन में
मौजूद स्टेम सेल से मकरध्वज का जन्म हुआ होगा।
पाश्चात्य जगत में इस तकनीक से जुड़े संशोधन किये जा रहें हैं और विज्ञान का मानना है कि त्वचा से आसानी से इन स्टेम सेल्स को पाया जा सकता है और उसे प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल में बदला जा सकता है! इसका अर्थ है कि वेद काल से ही हमारे पूर्वज इस तकनीक का प्रयॊग कर भ्रूण की उत्पत्ती कर सकते थे!! माता पार्वती ने अपने त्वचा के स्टेम सेल द्वारा ही गणेश को जीवन दान दिया होगा।
इसी काल में मानव हेड ट्रान्सप्लांट भी किया गया था। अश्विनी कुमार, दक्ष और गणेश का सिर इसी तकनीक द्वारा जॊड़ा गया है। इन सभी साक्ष्यों से हमें पता चलता है कि विज्ञान और तकनीक वेद काल से ही भारत में उपस्थित थे। आज का अधुनिक जगत जो अनुसंधान कर रहा है, वह हज़ारों वर्ष पूर्व से ही भारत में प्रचलित था। मानो या ना मानो आपकी मर्जी
पाश्चात्य जगत में इस तकनीक से जुड़े संशोधन किये जा रहें हैं और विज्ञान का मानना है कि त्वचा से आसानी से इन स्टेम सेल्स को पाया जा सकता है और उसे प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल में बदला जा सकता है! इसका अर्थ है कि वेद काल से ही हमारे पूर्वज इस तकनीक का प्रयॊग कर भ्रूण की उत्पत्ती कर सकते थे!! माता पार्वती ने अपने त्वचा के स्टेम सेल द्वारा ही गणेश को जीवन दान दिया होगा।
इसी काल में मानव हेड ट्रान्सप्लांट भी किया गया था। अश्विनी कुमार, दक्ष और गणेश का सिर इसी तकनीक द्वारा जॊड़ा गया है। इन सभी साक्ष्यों से हमें पता चलता है कि विज्ञान और तकनीक वेद काल से ही भारत में उपस्थित थे। आज का अधुनिक जगत जो अनुसंधान कर रहा है, वह हज़ारों वर्ष पूर्व से ही भारत में प्रचलित था। मानो या ना मानो आपकी मर्जी
भगवान गणॆश का जन्म Pluripotent स्टेम सेल तकनीक द्वारा हुआ था?! वेदों के काल में ही था स्टेम सेल तकनीक का अस्तित्व!!
इसमें कॊई संदेह नहीं कि भारत में वेद काल से ही तकनीक का
प्रयॊग किया जाता था। विज्ञान और तकनीक इस देश की ही देन है। शिवजी इस ब्रह्मांड
के सबसे पहले वैज्ञानिक थे। इनके पास अस्त्र-शस्त्र बनाने से लेकर अंग प्रत्यारॊपण
करने जैसे विद्याएं थीं। नाट्य और भाषा के रचैता भी आदी यॊगी शिव ही थे। वेदों की
रचना में शिवजी की भूलिका रही है। शिवजी के काल( 50-60 हज़ार
साल पूर्व) से ही इस धरती पर Surrogacy, Head transplant,
Test tube baby, Stem cell technology, cloning आदि
अस्तित्व में थे।
अगर आप ध्यान दें तो शिवजी की अपनी पत्नि पार्वती से या अन्य महिलाओं से एक भी जैविक पुत्र या पुत्रियां नहीं है। शिवजी के जितने भी पुत्र व पुत्रियां हैं, उनका जन्म पुरुष और स्त्री के प्राकृतिक संयॊग के बिना ही हुआ है। कार्तिकेय, श्री गणेश, अशोक सुंदरी, ज्यॊती और मानसा का जन्म कृत्रिम तकनीकी साधनों द्वारा हुआ था। जब कि भगवान शिवजी को मॊहिनी (जिसे विष्णु का स्त्री अवतार माना जाता है) उससे एक पुत्र हुआ था जिसका नाम अय्यप्पा है। मॊहिनी लिंग परिवर्तन तकनीक का पहला उदाहरण है और दूसरा उदाहरण हमें द्वापर युग में देखने को मिलता है जहां अंबा अपना लिंग परिवर्तन कर शिखंडी बन जाती है।
अब गणेश जी के जन्म को देखा जाये तो हमें यह ज्ञात होता है कि माता पार्वती ने गणेश को अपने शरीर के गंदगी से बनाया था। आज विज्ञान कहता है कि Stem cell technology द्वारा मानव अंगों का निर्माण किया जा सकता है। एलोपैथिक दृष्टिकोण से माता पार्वती की गंदगी उसकी त्वचा की कोशिकाओं के बराबर होगी। यह स्टेम सेल हमारे शरीर के ऊतकों में मौजूद होते हैं। सभी स्टेम सेल स्व-नवीनीकरण करने में सक्षम हैं। परिस्थिती के अनुसार वे अलग अलग रूप में अपने को परिवर्तित करने में भी सक्षम है।
इन स्टेम सेल्स में कई प्रकार है।
Totipotent कोशिकाएं सभी कोशिका प्रकार (भ्रूण और अतिरिक्त भ्रूण प्लेसेंटा) उत्पन्न कर सकती हैं।
Pluripotent कोशिकाओं केवल भ्रूण की कोशिकाओं को उचित बना सकते हैं।
Multipotent कोशिकाएं केवल एक दिए गए रोगाणु परत के भीतर कोशिकाओं को बना सकती हैं।
Unipotent कोशिकाएं एक ही प्रकार के कोशिकाओं को बनाती हैं।
अगर आप ध्यान दें तो शिवजी की अपनी पत्नि पार्वती से या अन्य महिलाओं से एक भी जैविक पुत्र या पुत्रियां नहीं है। शिवजी के जितने भी पुत्र व पुत्रियां हैं, उनका जन्म पुरुष और स्त्री के प्राकृतिक संयॊग के बिना ही हुआ है। कार्तिकेय, श्री गणेश, अशोक सुंदरी, ज्यॊती और मानसा का जन्म कृत्रिम तकनीकी साधनों द्वारा हुआ था। जब कि भगवान शिवजी को मॊहिनी (जिसे विष्णु का स्त्री अवतार माना जाता है) उससे एक पुत्र हुआ था जिसका नाम अय्यप्पा है। मॊहिनी लिंग परिवर्तन तकनीक का पहला उदाहरण है और दूसरा उदाहरण हमें द्वापर युग में देखने को मिलता है जहां अंबा अपना लिंग परिवर्तन कर शिखंडी बन जाती है।
अब गणेश जी के जन्म को देखा जाये तो हमें यह ज्ञात होता है कि माता पार्वती ने गणेश को अपने शरीर के गंदगी से बनाया था। आज विज्ञान कहता है कि Stem cell technology द्वारा मानव अंगों का निर्माण किया जा सकता है। एलोपैथिक दृष्टिकोण से माता पार्वती की गंदगी उसकी त्वचा की कोशिकाओं के बराबर होगी। यह स्टेम सेल हमारे शरीर के ऊतकों में मौजूद होते हैं। सभी स्टेम सेल स्व-नवीनीकरण करने में सक्षम हैं। परिस्थिती के अनुसार वे अलग अलग रूप में अपने को परिवर्तित करने में भी सक्षम है।
इन स्टेम सेल्स में कई प्रकार है।
Totipotent कोशिकाएं सभी कोशिका प्रकार (भ्रूण और अतिरिक्त भ्रूण प्लेसेंटा) उत्पन्न कर सकती हैं।
Pluripotent कोशिकाओं केवल भ्रूण की कोशिकाओं को उचित बना सकते हैं।
Multipotent कोशिकाएं केवल एक दिए गए रोगाणु परत के भीतर कोशिकाओं को बना सकती हैं।
Unipotent कोशिकाएं एक ही प्रकार के कोशिकाओं को बनाती हैं।
2006 में शिन्या यामानका और सहयोगियों ने एक प्रक्रिया द्वारा
परिपक्व कोशिकाओं में प्लुरिपोटेंट कोशिकाओं में व्यक्त जीन को इनड्यूस किया जिसे iPS कहा
जाता है। यह iPS तकनीक विज्ञान की दुनिया में तेहल्का मचा रहा है। त्वचा से
व्युत्पन्न एक केराटिनोसाइट को प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल बनने के लिए प्रेरित किया
जा सकता है। यानी त्वचा की कोशिकाओं में मौजूद स्टेम सेल्स का उपयॊग कर एक खास
तकनीक द्वारा एक भ्रूण को उत्पन्न किया जा सकता है। ठीक इसी प्रकार हनुमान के
पुत्र मकरध्वज का जन्म भी हुआ होगा। पसीने-गंदगी-या हनुमान के त्वचा या शरीर के
मलिन में मौजूद स्टेम सेल से मकरध्वज का जन्म हुआ होगा।
पाश्चात्य जगत में इस तकनीक से जुड़े संशोधन किये जा रहें हैं और विज्ञान का मानना है कि त्वचा से आसानी से इन स्टेम सेल्स को पाया जा सकता है और उसे प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल में बदला जा सकता है! इसका अर्थ है कि वेद काल से ही हमारे पूर्वज इस तकनीक का प्रयॊग कर भ्रूण की उत्पत्ती कर सकते थे!! माता पार्वती ने अपने त्वचा के स्टेम सेल द्वारा ही गणेश को जीवन दान दिया होगा।
इसी काल में मानव हेड ट्रान्सप्लांट भी किया गया था। अश्विनी कुमार, दक्ष और गणेश का सिर इसी तकनीक द्वारा जॊड़ा गया है। इन सभी साक्ष्यों से हमें पता चलता है कि विज्ञान और तकनीक वेद काल से ही भारत में उपस्थित थे। आज का अधुनिक जगत जो अनुसंधान कर रहा है, वह हज़ारों वर्ष पूर्व से ही भारत में प्रचलित था। मानो या ना मानो आपकी मर्जी
पाश्चात्य जगत में इस तकनीक से जुड़े संशोधन किये जा रहें हैं और विज्ञान का मानना है कि त्वचा से आसानी से इन स्टेम सेल्स को पाया जा सकता है और उसे प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल में बदला जा सकता है! इसका अर्थ है कि वेद काल से ही हमारे पूर्वज इस तकनीक का प्रयॊग कर भ्रूण की उत्पत्ती कर सकते थे!! माता पार्वती ने अपने त्वचा के स्टेम सेल द्वारा ही गणेश को जीवन दान दिया होगा।
इसी काल में मानव हेड ट्रान्सप्लांट भी किया गया था। अश्विनी कुमार, दक्ष और गणेश का सिर इसी तकनीक द्वारा जॊड़ा गया है। इन सभी साक्ष्यों से हमें पता चलता है कि विज्ञान और तकनीक वेद काल से ही भारत में उपस्थित थे। आज का अधुनिक जगत जो अनुसंधान कर रहा है, वह हज़ारों वर्ष पूर्व से ही भारत में प्रचलित था। मानो या ना मानो आपकी मर्जी
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