सरस्वती शब्द तीन शब्दों से निर्मित हैं,
प्रथम 'सर'जिसका अर्थ सार, 'स्व' स्वयं तथा 'ती' जिसका अर्थ सम्पन्न हैं; जिसका अभिप्राय हैं जो स्वयं ही सम्पूर्ण सम्पन्न हो। ब्रह्माण्ड के निर्माण में सहायता हेतु, ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को अपने ही शरीर से उत्पन्न किया था। इन्हीं के ज्ञान से प्रेरित हो ब्रह्मा जी ने समस्त जीवित तथा अजीवित तत्वों का निर्माण किया।
वेद के अर्थ समझने के लिए
हमारे पास प्राचीन ऋषियों के प्रमाण हैं। निघण्टु में वाणी के 57 नाम हैं, उनमें से
एक सरस्वती भी है। अर्थात् सरस्वती का अर्थ वेदवाणी है। सरस्वती
के अर्थ विदुषी, वेगवती
नदी, विद्यायुक्त
स्त्री, विज्ञानयुक्त
वाणी आदि किये हैं। अन्य देशों में सरस्वती
जापान में सरस्वती को 'बेंजाइतेन' कहते हैं। जापान में उनका
चित्रन हाथ में एक संगीत वाद्य लिए हुए किया जाता है। जापान में वे ज्ञान, संगीत
तथा 'प्रवाहित
होने वाली' वस्तुओं
की देवी के रूप में पूजित हैं।
दक्षिण एशिया के अलावा थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, जापान
एवं अन्य देशों में भी सरस्वती की पूजा होती है।
No comments:
Post a Comment