आप केवल अपनी असफलताओं से मत सीखिए; असफल होना सीखिए।
आप जिस भी चीज की आकांक्षा करते हैं, वो आपको कैसे मिल सके। वो उसे कैसे संभव हो सकता हैं।
अगर आप अपने मन, शरीर, और भावनाओं को खोल देते हैं तो जीवन बहुत सुंदर हो जाएगा।
फिर नारद भक्ति सूत्र में नारद जी ने लिखा है।
स: तरति सः तरति सः लोकान् तारयति।
अर्थात् - जो स्वय सही मनुष्य बन जाता है, वो दूसरों को भी अच्छा बना देता है।
तरति मतलब तार देना समस्यों से पार हो जाना। दुःखों से मुक्त हो जाना। और फिर दूसरों को भी दुखों से मुक्त कर देना।
इसलिए मनुष्य को भी स्वयं से सही बनने का पर्यंत करना चाहिए।
#शिक्षा
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