पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन
बारह स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में
१२ है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा ममलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री
त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में
श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघृष्णेश्वर। हिंदुओं में मान्यता है
कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह
ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया
हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। प्रत्येक ज्योतिर्लिङ्ग
का एक एक उपलिंग भी है जिनका वर्णन शिव महापुराण की कोटिरुद्र संहिता के प्रथम
अध्याय से प्राप्त होता है, शिवमहापुराण और लिंगपुराण के अनुसार भगवान शंकर जहां जहां स्वयं प्रकट हुए
थे। वहां वहां ज्योर्तिलिंग की स्थापना हुई। शिवपुराण और लिंगपुराण में द्वादश ज्योतिर्लिंगों का वर्णन मिलता है।
1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
·
सोमनाथ
ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।
यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार जब
चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता
है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह
17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
2 - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
·
यह
ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर
स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक
धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं। कहते हैं कि
इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति
मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य
फल प्राप्त होते हैं।
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
·
यह
ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित
है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी
ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध
है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने
के लिए की जाती है। उज्जैन वासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं
और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
4 - ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
·
ओंकारेश्वर
ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर
यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा
नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ऊं शब्द
की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का
पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए
है, इस कारण इसे
ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5 - केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
·
केदारनाथ
स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों
में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग
में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित
है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ
भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व
शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
6 - भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
·
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर
ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में
मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद
दर्शन करता है, उसके सात
जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
7 - काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
·
विश्वनाथ
ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित
है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में
काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान
को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर
पुन: रख देंगे।
8 - त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
·
यह
ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है।
इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से
गोदावरी नदी शुरूहोती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है
कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में
रहना पड़ा।
9 - वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
·
श्री
वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है।
भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।
10 - नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
·
यह
ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म
शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का
ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर
ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण
श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी
हो जाती हैं।
11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
·
यह
ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव
के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय
में यह मान्यता है, कि इसकी
स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण
ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12 - घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग
·
घृष्णेश्वर
महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित
है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा
निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री
एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।
No comments:
Post a Comment