18 पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय 18 mahapurans all maha purans hindi.shrimad bhagwatall maha purans hindi.shrimad bhagwat.all sanskrit ki jankari , sabhi sanskrit
Thursday, April 27, 2023
संस्कृतम्
संस्कृतम् जगतः एकतमा अतिप्राचीना समृद्धा शास्त्रीया च भाषा वर्तते। संस्कृतं भारतस्य जगत: वा भाषास्वेकतमा प्राचीनतमा। भारती, सुरभारती, अमरभारती, अमरवाणी, सुरवाणी, गीर्वाणवाणी, गीर्वाणी, देववाणी, देवभाषा, संस्कृतावाक्, दैवीवाक्, इत्यादिभिः नामभिः एतद्भाषा प्रसिद्धा।
इयं भाषा न केवलं भारतस्य अपि तु विश्वस्य प्राचीनतमा भाषा इति मन्यते। इयं भाषा तावती समृद्धा अस्ति यत् प्राय: सर्वासु भारतीयभाषासु न्यूनाधिकरूपेण अस्या: शब्दा: प्रयुज्यन्ते. अत: भाषाविदां मतेन इयं सर्वासां भाषाणां जननी मन्यते। पुरा संस्कृतं लोकभाषा आसीत्। जना: संस्कृतेन वदन्ति स्म॥
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इन हिंदी कहावतों के स्थान पर संस्कृत की सूक्ति बोलें।
इन हिंदी कहावतों के स्थान पर संस्कृत की सूक्ति बोलें। 1. अपनी डफली अपना राग - मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना । 2. का बरखा जब कृषि सुखाने - पयो ग...
-
१८ पुराण के नाम और उनका महत्त्व महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित 18 पुराणों के बारें में पुराण अठारह हैं। मद्वयं भद्वयं चैव ब्रत्रयं...
-
आख्यानपरक लेखन आख्यायिका का अर्थ की विशेषताएँ बताइए आख्यानपरक लेखन की विशेषताएं बताइए आख्यान meaningआख्यान आख्यान शब्द आरंभ से ही सामान्यत: कथा अथवा कहानी के अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है। तारानाथकृत " वाचस्पत्यम् ...
-
स्वस्तिवाचन स्वस्तिवाचन (स्वस्तयन) मन्त्र और अर्थ-- हमारे देश की यह प्राचीन परंपरा रही है कि जब कभी भी हम कोई कार्य प्रारंभ करते है, तो उस...
No comments:
Post a Comment