अथातो धर्म व्याख्यास्याम:।।
अब हम धर्म की व्याख्या करेंगे।
यतोSभ्युदयनि: श्रेयससिद्धि: स धर्म:।।
जिससे इहलौकिक और पारलौकिक (नि:श्रेयस) सुख की सिध्दि होती है वह धर्म है।
कणाद के वैशेषिक दर्शन की गौतम के न्याय-दर्शन से भिन्नता इस बात में है कि इसमें छब्बीस के बजाय ७ ही तत्वों को विवेचन है। जिसमें विशेष पर अधिक बल दिया गया है।
ये तत्व है-द्रव्य, गुण, कर्म, समन्वय,विशेष और अभाव।
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