ब्रह्मवादिनो वदन्ति-
किं कारणं ब्रह्म कुत: स्म जाता जीवाम केन क्व च संप्रतिष्ठा:।
अधिष्ठिता: केन सुखेतरेषु वर्तामहे ब्रह्मविदो
व्यवस्थाम्।।
अर्थ-ब्रह्म का वर्णन करने वाले कहते है, इस (जगत्) का कारण क्या है, इस (जगत्) का कारण क्या है? हम कहाँ से उत्पन्न है? कहाँ स्थित है? (कैसे स्थित है?)यह सुख-दु:ख क्यों होता है? ब्रह्म की जिज्ञासा करने वाला यह जानना चाहते हैं। उत्पन्न हुआ जो तत्व है यह सब क्या है, क्यों हैं? इत्यादि।
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