श्रियः प्रदुग्धे विपदो रुणद्धि यशांसि सूते मलिनं प्रमार्ष्टि ।
संस्कारशौेचेन परं पुनीते शुद्धा हि बुद्धि: किल कामधेनुः।।
~ शुद्ध बुद्धि सचमुच कामधेनु है, क्योंकि वह सम्पत्ति को दोहती है, विपत्ति को रुकाती है, यश दिलाती है, मलिनता धो देती है, और संस्काररूप पावित्र्य द्वारा अन्य को पावन करती है ।।
संस्कारशौेचेन परं पुनीते शुद्धा हि बुद्धि: किल कामधेनुः।।
~ शुद्ध बुद्धि सचमुच कामधेनु है, क्योंकि वह सम्पत्ति को दोहती है, विपत्ति को रुकाती है, यश दिलाती है, मलिनता धो देती है, और संस्काररूप पावित्र्य द्वारा अन्य को पावन करती है ।।
धन्यवादः
ReplyDeleteधन्यवादः
ReplyDelete