Monday, April 10, 2017

भगवान महावीर के सिद्धान्त ॥महावीरजयंती की हार्दिक शुभकामनाएं॥आज भी प्रासंगिक हैं भगवान महावीर के सिद्धान्त ॥

आज भी प्रासंगिक हैं भगवान महावीर के सिद्धान्त
॥महावीरजयंती की हार्दिक शुभकामनाएं॥




🎁महावीर की दृष्टि में दुनिया की सभी आत्माएं एक-सी हैं इसलिए हमें दूसरों के प्रति वही व्यवहार करना चाहिए जो हमें स्वयं को दूसरों से पसंद हो। 'जीयो और जीने दो' का यह सिद्धांत भगवान महावीर का विश्व प्रसिद्ध सिद्धांत है। वर्तमान काल में पूरे विश्व में जो अशांति, असमानता, भ्रष्टाचार और आतंकमय हिंसक वातावरण छाया हुआ है उनके निर्मूलन हेतु भगवान महावीर के सिद्धान्त आज भी प्रासंगिक हैं।🎁
आज चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्म जयंती की पावन तिथि है। लगभग ढाई हजार वर्ष पहले 599 ई. पू. वैशाली के गणतांत्रिक राज्य कुण्डलपुर में लिच्छिवी वंश के महाराज श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशला देवी के यहां भगवान महावीर का जन्म हुआ था। बचपन में भगवान महावीर का नाम ‘वर्धमान था। ‘वर्धमान’ ने कठोर तपस्या द्वारा अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर ‘जिन’ अर्थात् विजेता कहलाए। उनका यह कठोर तप पराक्रम के सामान माना गया, जिस कारण उनको ‘महावीर’ कहा जाने लगा और उनके अनुयायी जैन कहलाए।
मानव समाज को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने वाले भगवान महावीर का जन्म जिस युग में हुआ उस समय समाज हिंसा, पशुबलि, जात-पात के भेद-भाव आदि अनेक प्रकार की सामाजिक बुराइयों और धार्मिक कुरीतियों से संत्रस्त था। तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक हैं। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। भगवान महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया का सही मार्गदर्शन करते हुए जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो इस प्रकार हैं - अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय (अचौर्य) और ब्रह्मचर्य। सर्वोदयी तीर्थ के प्रणेता महावीर स्वामी के जीवन दर्शन में क्षेत्र, काल, समय या जाति की सीमाएँ नहीं हैं। उन्होंने जनकल्याण हेतु चार तीर्थों- साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका की रचना की। इन सर्वोदयी तीर्थों में भगवान महावीर द्वारा उपदिष्ट धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। महावीर की दृष्टि में दुनिया की सभी आत्माएं एक-सी हैं इसलिए हमें दूसरों के प्रति वही व्यवहार करना चाहिए जो हमें स्वयं को दूसरों से पसंद हो। 'जीयो और जीने दो' का यह सिद्धांत भगवान महावीर का विश्व प्रसिद्ध सिद्धांत है। महावीर जी ने अपने उपदेशों द्वारा समाज का कल्याण किया उनकी शिक्षाओं में मुख्य बातें थी कि सत्य का पालन करो, अहिंसा को अपनाओ, जिओ और जीने दो। इसके अतिरिक्त उन्होंने पांच महाव्रत, पांच अणुव्रत, पांच समिति, तथा छ: आवश्यक नियमों का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया‚ जो जैन धर्म के प्रमुख आधार हुए ।
आज भी प्रासंगिक हैं भगवान महावीर के सिद्धान्त
भगवान महावीर ने विश्व मानवता को जो पांच सिद्धांत सिखाए उन पर यदि व्यावहारिक धरातल पर आचरण किया जाए तो मनुष्य को समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की स्वयमेव प्राप्ति हो जाती है। उनमें से पहला सिद्धांत है अहिंसा। अहिंसा का सिद्धांत कहता है कि किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए। दूसरा सिद्धांत है सत्य। सत्य के सिद्धांत के अनुसार, लोगों को हमेशा सत्य बोलना चाहिए। तीसरा सिद्धांत है अस्तेय। अस्तेय का पालन करने वाले लोग चोरी नहीं करते आत्मसंयम से रहते हैं और केवल वही लेते हैं जो उन्हें परिश्रम द्वारा प्राप्त होता है। चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य। इस सिद्धांत के अन्तर्गत पवित्रता और इन्द्रियसंयम की आवश्यकता है। पांचवां सिद्धांत है अपरिग्रह। अपरिग्रह का सिद्धांत कम साधनों में अधिक संतुष्टि पर बल देता है। अपरिग्रह का पालन करने से मनुष्य में आवश्यकता से अधिक वस्तुओं के संग्रह की इच्छाएं समाप्त हो जाती हैं।
वर्तमान काल में पूरे विश्व में जो अशांति, असमानता, भ्रष्टाचार और आतंकमय हिंसक वातावरण छाया हुआ है उनके निर्मूलन हेतु भगवान महावीर के सिद्धान्त आज भी प्रासंगिक हैं। महावीर की अहिंसा केवल शारीरिक वध को ही हिंसा नहीं मानती है, अपितु मन में किसी के प्रति बुरा विचार उत्पन्न होना और दूसरों के प्रति घृणा तथा वैमनस्य की भावना पैदा करना भी हिंसा है। जब मानव का मन ही निर्मल नहीं होगा तो अहिंसा की पालना नहीं हो सकेगी। वर्तमान युग में 'समाजवाद', ‘स्वराज’ या ‘सबका साथ सबका विकास’ जैसे वोट जुटाने वाले लोक लुभावन नारे तब तक सार्थक नहीं हो सकते जब तक समाज में राजनेताओं के लिए अलग और आम जनता के लिए अलग आचार संहिता बनी रहेगी। एक ओर राजनेताओं और धनबलियों के पास अथाह पैसा और दूसरी ओर दो समय की रोटी को तरसते साधनहीन बहुसंख्यक समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता और असमानता की खाई को केवल भगवान महावीर का 'अपरिग्रह' का सिद्धांत ही भर सकता है।
समस्त देशवासियों को भगवान महावीर की जन्म जयंती के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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