*शास्त्राण्यधीत्यापि भवन्ति मूर्खा*
*यस्तु क्रियावान् पुरूष: स विद्वान् ।*
*सुचिन्तितं चौषधमातुराणां*
*न नाममात्रेण करोत्यरोगम् ॥*
*भावार्थ -* *वास्तव में विद्वान् और सफलतम् व्यक्ति बनने के लिये अच्छी पुस्तकों और शास्त्रों का केवल अध्ययन करना पर्याप्त नहीं, अपितु जीवन में उनका अनुकरण करना आवश्यक होता है, जैसे रोग दूर करने के लिए दवा की अच्छी जानकारी होना या दवा का नाम ले लेना पर्याप्त नही अपितु दवा का नियमित सेवन करना आवश्यक एवम् लाभदायक होता है।*
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