देयमार्त्तस्य शयनं
स्थित:श्रान्तस्य चासनम्।
तृषितस्य च पानीयं
क्षुधितस्य च भोजनम्।।
चक्षुर्दद्यान्मनो दद्याद्वाचं
दद्यात्सुभाषितं ।
उत्थाय चासनं दद्याद् -
- ऐषधर्म: सनातन: ।।महाभारत।।
रोग पीड़ित को शयन के लिये स्थान, थके हुए को आसन, प्यासे को पानी, भूखे को भोजन देना चाहिये ।
आये हुए को प्रेम की दृष्टी से देखें , मन से चाहें, मीठी वाणी बोलें, उठकर आसन दें - यही सनातन धर्म ह।
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