ऋग्वेद का सामान्य परिचय*
(१) *ऋग्वेद की शाखा :-*
महर्षि पतञ्जलि के अनुसार ऋग्वेद की २१ शाखाएँ हैं, किन्तु पाँच ही शाखाओं के नाम उपलब्ध होते हैं :---
(१) शाकल
(२) बाष्कल
(३) आश्वलायन
(४) शांखायन
(५) माण्डूकायन
संप्रति केवल शाकल शाखा ही उपलब्ध है !
ऋग्वेद के ब्राह्मण
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(१) ऐतरेय ब्राह्मण
(२) शांखायन ब्राह्मण
ऋग्वेद के आरण्यक
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(१) ऐतरेय आरण्यक
(२) शांखायन आरण्यक
ऋग्वेद के उपनिषद
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(१) ऐतरेय उपनिषद्
(२) कौषीतकि उपनिषद्
ऋग्वेद के देवता
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तिस्र एव देवताः इति नैरुक्ताः !
(१) अग्नि (पृथिवी स्थानीय )
(२) इन्द्र या वायु (अन्तरिक्ष स्थानीय )
(३) सूर्य (द्यु स्थानीय )
ऋग्वेद में बहु प्रयोग छंद
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(१) गायत्री ,
(२) उष्णिक्
(३) अनुष्टुप् ,
(४) त्रिष्टुप्
(५) बृहती,
(६) जगती,
(७) पंक्ति,
ऋग्वेद के मंत्रों के तीन विभाग
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(१) प्रत्यक्षकृत मन्त्र
(२) परोक्षकृत मन्त्र
(३) आध्यात्मिक मन्त्र
ऋग्वेद का विभाजन
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(१) अष्टक क्रम :----
८ अष्टक
६४ अध्याय
२००६ वर्ग
(२) मण्डलक्रम :---
१० मण्डल
८५ अनुवाक
१०२८ सूक्त
१०५८०---१
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