Tuesday, May 8, 2018

सोम रस का तात्पर्य उस अमृत से हैं जो देवताओं की आयु बढ़ाता हैं।

सोम रस का तात्पर्य उस अमृत से हैं जो देवताओं की आयु बढ़ाता हैं। जिसके पान से देवता हमेशा जवान दिखते हैं।
आज के दारू को सोम रस के समान नही समझना चाहिए।
ऋग्वेद के नवम मण्डल में सोम रस के बारे में बताया हैं।
एक मत तो ये है कि सोम एक औषधी है। जो हिमालय के
मूँजवत पर्वत पे पायी जाती हैं।
रसिया के लोग इसको 10 प्रकार का बताते है। वहा जो रस मिलता है।
सोम रस को पीसकर उसका रस निकालकर कर पिते है।
दूसरा मत है कि सोम एक प्रकार का आनंद है जो योग के द्वारा ब्रह्म की आराधना करके प्राप्त किया जाता है।वो सोम है ।
अयस्का (ईरान) के समीप में सोम को होम कहते है। होम यानी सोम या यज्ञ
सोम की पत्ते को पीसकर उसका रस निकाला जाता था।
पर जो लोग आज के दारू को वो समझना चाहते है। वो गलत है। क्योंकि आज की दारू कैसे बनती है सब जानते है।a

No comments:

Post a Comment

Bharat mein Sanskrit Gurukul kaafi mahatvapurn

Bharat mein Sanskrit Gurukul kaafi mahatvapurn hain, kyunki yeh paramparik Sanskrit shikshan aur Hindu dharmik sanskriti ko sambhalne aur a...