*यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणध्यानसमाधयोsष्टावङ्गानि*
१.यम ,
२.नियम ,
३.आसन ,
४. प्राणायाम ,
५.प्रत्याहार ,
६. धारणा
७. ध्यान , और
८. समाधि ये योग के आठ अंग है।
*अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः ।*
अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी ना करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (दान ना लेना) ये पांच यम है।
*शौचसन्तोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्राणिधानानि नियमाः ।*
शौच (पवित्रता), सन्तोष, तप, स्वाध्याय, और इश्वरचिन्तन ये पांच नियम हैं ।
*स्थिरसुखमासनम् ।*
जिससे स्थिरता एवं सुख हो उसे आसन कहते हैं ।
पूरक, कुम्भक, तथा रेचक द्वारा प्राणवायु को रोकना प्राणायाम है । मन द्वारा इन्द्रियो को विषयों से हटाना प्रत्याहार कहलाता है । भगवान के स्थुल रुप मे मन को स्थिर करना धारणा कहलाता है । भगवान में चित्त की निरंतर एकाकार वृत्ति को ध्यान कहते है । ध्याता ध्यान और ध्येय यह त्रिपुटी जिसमें न रह जाय यहि समाधि है । ध्यान में त्रिपुटी रहति है, परन्तु समाधि में नहि रहती है । यहि दोनो का अंतर है ।
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